यूरोस स्तेपनोव रोस की एक कविता
(अनुवाद: अनुपमा पाठक)
मिलने के लिए
हमें एक दूसरे के पास से गुजरना होगा
अदृश्य पथ पार करने होंगे
हवा में चिन्ह अंकित करने होंगे
काले बर्फ में बनी राह पर चलना होगा
लेकिन, चिंता न करो
सबकुछ क्रमवत है यथावत अपने स्थान पर
हम यहाँ हैं
अन्य लोगों के सपने पूरे करने के लिए
जो हमारे पास नहीं है
वह है औरों के जीवन में.
(अनुवाद: अनुपमा पाठक)
मिलने के लिए
हमें एक दूसरे के पास से गुजरना होगा
अदृश्य पथ पार करने होंगे
हवा में चिन्ह अंकित करने होंगे
काले बर्फ में बनी राह पर चलना होगा
लेकिन, चिंता न करो
सबकुछ क्रमवत है यथावत अपने स्थान पर
हम यहाँ हैं
अन्य लोगों के सपने पूरे करने के लिए
जो हमारे पास नहीं है
वह है औरों के जीवन में.
för att mötas
för att mötas
måste vi gå förbi varandra
korsa den osynliga stigen
lämna avtryck i vinden
följa spår i den svarta snön
men, oroa er inte
allt är på sin plats
vi är här
för att uppfylla andras drömmar
det vi saknar
finns i andras liv.
-Uros Stepanov Ros
आपका यह ब्लॉग भी बहुत अच्छा लगा।
ReplyDelete..........जो हमारे पास नहीं है
ReplyDeleteवह है औरों के जीवन में.
वाह!
शायद, उन्हे भी एहसास हो इसका!
waah! kitni gahri baat kahi aap ne...
ReplyDeleteबेहतरीन एहसास!!
ReplyDeleteसुन्दर भावानुवाद....
ReplyDeleteसादर बधाई...
बहुत सुन्दर भाव्।
ReplyDelete