Monday, August 6, 2012

सर्वोत्तम: कारिन बुवेए

कारिन बुवेए की एक कविता
(अनुवाद: अनुपमा पाठक)


हमारे पास जो सर्वोत्तम है,
उसे दिया नहीं जा सकता,
उसे कहा नहीं जा सकता,
और न ही उसे लिखा जा सकता है.

आपके मन की सर्वोत्तम बात
अपवित्र नहीं की जा सकती.
वह चमकती है गहरे वहां भीतर
आपके लिए और केवल ईश्वर के लिए.

यह हमारी समृद्धता का ताज है
कि जिस तक कोई और नहीं पहुँच सकता.
यह हमारी विपन्नता का दर्द है
कि जो किसी और को नहीं मिल सकता.

Det Bästa

Det bästa som vi äga,
det kan man inte giva,
det kan man inte säga
och inte heller skriva.

Det bästa i ditt sinne
kan intet förorena.
Det lyser djupt där inne
för dig och Gud allena.

Det är vår rik doms råga
att ingen ann kan nå det.
Det är vårt armods plåga
att ingen ann kan få det.

-Karin Boye

4 comments:

  1. आपके मन की सर्वोत्तम बात
    अपवित्र नहीं की जा सकती.
    वह चमकती है गहरे वहां भीतर
    आपके लिए और केवल ईश्वर के लिए.

    बिलकुल सच्ची बात ।

    सादर

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  2. आपकी बहुत दिनों से कोई रचना नहीं दिख रही। आप ब्लाग जगत में अमूल्य योगदान दे रही हैं कृपया इसे डिसकन्टीन्यु न कीजिए।

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  3. ✿♥❀♥❁•*¨✿❀❁•*¨✫♥
    ♥सादर वंदे मातरम् !♥
    ♥✫¨*•❁❀✿¨*•❁♥❀♥✿


    हमारे पास जो सर्वोत्तम है,
    उसे दिया नहीं जा सकता,
    उसे कहा नहीं जा सकता,
    और न ही उसे लिखा जा सकता है.

    सुंदर अनुवाद कर्म !
    आदरणीया अनुपमा पाठक जी



    हार्दिक मंगलकामनाएं …
    लोहड़ी एवं मकर संक्रांति के शुभ अवसर पर !

    राजेन्द्र स्वर्णकार
    ✿◥◤✿✿◥◤✿◥◤✿✿◥◤✿◥◤✿✿◥◤✿◥◤✿✿◥◤✿

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