नील्स फर्लिन की एक कविता
(अनुवाद: अनुपम पाठक)
उन्होंने कहा है कि फूल खिलेंगे
--- अँधेरे में और बर्फ़ में
जितनी भी रौशनी देखी हमने स्वप्न में
सब होगी फल में परिवर्तित और होगी स्पंदित बीज में.
उन्होंने कहा है कि फूल खिलेंगे
जैसे कि खिलते हैं सनौबर और नींबू के पेड़ों के इर्द गिर्द.
लेकिन उनके हाथ खाली हैं
और उनकी आँखें अंधीं.
Drömmar ur snö
De har sagt att det skall blomma.
--- Ur mörker och snö
allt det ljusa som vi drömde
ska ge frukt och ge frö.
De har sagt att det ska blomma
som kring björk och kring lind.
Men händerna är tomma
och blicken blind.
- Nils Ferlin
(अनुवाद: अनुपम पाठक)
उन्होंने कहा है कि फूल खिलेंगे
--- अँधेरे में और बर्फ़ में
जितनी भी रौशनी देखी हमने स्वप्न में
सब होगी फल में परिवर्तित और होगी स्पंदित बीज में.
उन्होंने कहा है कि फूल खिलेंगे
जैसे कि खिलते हैं सनौबर और नींबू के पेड़ों के इर्द गिर्द.
लेकिन उनके हाथ खाली हैं
और उनकी आँखें अंधीं.
Drömmar ur snö
De har sagt att det skall blomma.
--- Ur mörker och snö
allt det ljusa som vi drömde
ska ge frukt och ge frö.
De har sagt att det ska blomma
som kring björk och kring lind.
Men händerna är tomma
och blicken blind.
- Nils Ferlin
ऐसे तो मैं यहाँ अक्सर आता रहता हूँ, लेकिन आज अजदक से होता हुआ यहाँ तक पहुंचा... आपके ब्लॉग का जिक्र है वहां..:)
ReplyDeleteइतनी उम्मीद कायम रहे ,फिर फूल खिलेंगे
ReplyDeleteअच्छा लगा यहाँ आ कर अनुपमा :-)