योरान ग्रेइदर की एक कविता
(अनुवाद: अनुपमा पाठक)
कितना दुःख अभी भी शेष है?
हमें इसके बारे में कुछ नहीं पता.
रास्ते जो मुड़ते हैं
वहाँ मोड़ पर
नहीं बताते कुछ भी
जब तक हम वहाँ पहुँच न जाएँ.
Hur mycket
Hur mycket sorg är kvar?
Det vet vi inget om.
Vägen som vindlar
runt kröken därborta
berättar inget
innan vi kommit dit.
-Göran Greider
(अनुवाद: अनुपमा पाठक)
कितना दुःख अभी भी शेष है?
हमें इसके बारे में कुछ नहीं पता.
रास्ते जो मुड़ते हैं
वहाँ मोड़ पर
नहीं बताते कुछ भी
जब तक हम वहाँ पहुँच न जाएँ.
Hur mycket
Hur mycket sorg är kvar?
Det vet vi inget om.
Vägen som vindlar
runt kröken därborta
berättar inget
innan vi kommit dit.
-Göran Greider
कहाँ पता चलता है जब तक वहां पहुँच न जाएं...
ReplyDeleteबहुत अच्छी कविता अनुपमा, आभार आपका!!
बेहतरीन कविता
ReplyDeleteसादर